लंबी उम्र का रहस्य ! SECRET OF LONG LIFE

लंबी उम्र का रहस्य ! SECRET OF LONG LIFE

व्यक्ति स्वस्थ, खुशहाल और लंबी उम्र की कामना करता है।लेकिन आजकल छोटी-छोटी उम्र में डायबिटीज, फैटी लिवर, हार्ट डिजीज जैसी भयंकर बीमारी देखने को मिल रही हैं। जिसकी वजह से लोगों का जीवन बेहद सिमटकर रह गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां के लोग 100 साल तक जिंदा रहते हैं। इन जगहों को ब्लू जोन कहा जाता है।इस आर्टिकल के माध्यम से यहाँ के लोगो कि लंबी उम्र का रहस्य जानने कि कोशिस करते है I

ब्लू जोन में रहने वाले बुजुर्ग लोग भी बीमारियों से आजाद रहते हैं। यहां रहने वाले लोगों की जीवनशैली बेहद हेल्दी होती है, जिनमें 5 आदतें प्रमुख होती हैं। आइए लंबी उम्र जीने के इन राज के बारे में जानते हैं।

लंबी उम्र जीने के प्रमुख पहलु :-

लंबी उम्र प्राप्ति के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। इसमें संतुलित आहार, नियमित योग–व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान, मजबूत सामाजिक-संबंध, और आयुर्वेदिक/प्राकृतिक उपाय शामिल हैं। नीचे इन सभी पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया गया है:

 लंबी उम्र का रहस्य
  • खान-पान और पोषण :-
  • पौधे-आधारित आहार: ब्लू जोन में रहने वाले लोगों की लंबी उम्र का रहस्य डाइट का करीब 95 प्रतिशत सिर्फ प्लांट बेस्ड फूड का शामिल होना हैं। जिनमें सलाद, हरी सब्जियां, फल, फलियां, साबुत अनाज, नट्स आदि शामिल होते हैं। रिसर्च कहती है कि जो लोग मांसाहार छोड़कर पेड़-पौधों से मिलने वाली चीजें खाते हैं, उनमें दिल की बीमारी, कैंसर और अन्य बीमारी के कारण मरने का खतरा काफी कम हो जाता है,जिसक कारण ये लंबी उम्र पाते है । फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, दालें, नट्स आदि में भरपूर पोषक तत्व व एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। कई शोध बताते हैं कि पौधे-आधारित प्रोटीन (बीन, नट, साबुत अनाज आदि) लेने से समय से पहले मृत्यु का जोखिम कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, कुल कैलोरी का सिर्फ 3% पशु-प्रोटीन से पौधे-प्रोटीन में बदलने से मृत्यु दर में लगभग 10% कमी देखी गई है। भूमध्यसागरीय आहार और जपानी ओकिनावा आहार जिनमें ताज़ी सब्जियाँ, फल, शलजम-आधारित मुख्य भोजन (जैसे शकरकंद), सॉयाबीन उत्पाद, मछली और कम घी-मसाले का समावेश होता है, दीर्घायु से जुड़े पाए गए हैं। इसके अलावा ठंडेचाय (जैसे मक्यीया) और जड़ी-बूटी वाली चाय भी खाने के साथ ली जाती हैं। ओकिनावा में लोग खाने में संयम रखते हैं। यहां ‘हरा हाची बू’ की प्रथा है, अर्थात् “जब पेट लगभग 80% भरा हो, तब भोजन रोक देना” । इस शिष्टाचार से पेट ज्यादा न भरे और ओवरइटिंग (अधिक खाने) से बचा जा सके। रात का भोजन भी हल्का होता है, कई लोग दिन ढलने से पहले ही रात का खाना खाकर विश्राम कर लेते हैं।
  • उपवास समय-नियंत्रित भोजन: लंबी उम्र का राज fasting से जोड़ा गया है। फास्टिंग करने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल और बीएमआई कंट्रोल में रहता है, जो कि खुद में कई सारी बीमारियों की वजह बन सकते हैं। वहीं, ऐसे लोग भूख का सिर्फ 80 प्रतिशत ही खाते हैं। वो पूरा पेट भरने की गलती नहीं करते हैं वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि विरामित उपवास (Intermittent Fasting) और कैलोरी प्रतिबंध जीवन प्रत्याशा बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, कैलोरी प्रतिबंध से मधुमेह, कैंसर व हृदय रोग जैसे बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियों के जोखिम घटते हैI हाल ही के शोध में बुज़ुर्गों में पाया गया है कि भोजन के समय में बदलाव (जैसे देर से नाश्ता करना) स्वास्थ्य संकेतकों से जुड़ा है, और देर से नाश्ता करने वालों में मृत्यु का जोखिम बढ़ गया I अतः नियमित और संतुलित भोजन समय बनाए रखना फायदेमंद होता है।
  • ब्लू जोन में रहने वाले लोगों में खाने की मात्रा नियंत्रित होती है और पारंपरिक रूप से दिन में शुरूआत भारी और शाम को हल्की भोजन से की जाती है। एडवेंटिस्ट समुदाय में कहावत है “सुबह राजा जैसा, दोपहर प्रसादिक, रात चोर जैसा भोजन करें” । यानि सुबह भरपूर नाश्ता, दोपहर मध्यम और रात का भोजन हल्का होता है। इससे रात को नींद में कैलोरी का अति-सेवन नहीं होता और स्वस्थ वजन बनाए रखना आसान होता है। साथ ही सप्ताह में कम से कम पाँच बार वे नट्स (बादाम, अखरोट आदि) का सेवन करते हैं, जिससे हृदय रोग का जोखिम बहुत कम हो

योग, प्राणायाम एवं व्यायाम :-

लंबी उम्र
  • योग और प्राणायाम: नियमित योगाभ्यास शरीर की मजबूती, लचीलेपन और संतुलन को बढ़ाता है। हार्वर्ड शोध के अनुसार बुज़ुर्गों में योग करने से चलने की गति और पैर की ताकत में सुधार होता है, जो कामेपन (frailty) को कम कर लंबी आयु के संकेतकों में सुधार लाता है। योग में शामिल आसन और प्राणायाम से हृदयगति अनियमितता, उच्च रक्तचाप व तनाव में कमी आती है और मस्तिष्क को ताज़गी मिलती है।
  • व्यायाम: नियमित चलना-भागना, दोड़ना, साइक्लिंग, तैराकी जैसे व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि जो लोग शरीर को सक्रिय रखने वाले व्यायाम संबंधी सिफारिश से 2–4 गुना अधिक समय तक व्यायाम करते हैं, उनमें कुल मृत्यु दर 26–31% तक घट गई। यही नहीं, हृदय रोग से संबंधित मृत्यु का जोखिम भी आधे से अधिक तक घट गया। सप्ताह में कम से कम 150–300 मिनट मध्यम या 75–150 मिनट तीव्र व्यायाम करने की सलाह है, और इसे पूरा करने पर लंबी आयु के अवसर बढ़ते हैं।
  • शारीरिक क्रियाकलाप: स्वाभाविक गतिविधियाँ बढ़ाएँ: रोजाना बागवानी, पैदल चलना या कोई हल्की शारीरिक गतिविधि करें। ब्लू जोन के लोग जिम न जाकर भी सक्रिय रहते हैं – वे खेत-खलिहान में काम करते हैं और लंबी दूरी तक चलते हैं किसी भी व्यायाम की शुरुआत धीरे-धीरे करें और नियमित रूप से करें। तेजी से चलना (walk), घर का काम, हल्के वजन उठाना आदि भी उपयोगी हैं। शारीरिक व्यायाम से मस्तिष्क में एंडोर्फिन निकलते हैं, नींद बेहतर होती है और रोग कम होते हैं।
  • सकारात्मक सोच और आशावाद: सकारात्मक दृष्टिकोण से युक्त लोग अक्सर स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं। अमेरिकी अध्ययनों में पाया गया है कि अत्यधिक आशावादी व्यक्तियों की औसत आयु करीब 5% तक अधिक होती है। आशावाद मानसिक तनाव घटाकर उम्र बढ़ने के जोखिम को भी कम करता है। इसलिए मुश्किलों में भी सकारात्मक रहना सीखें, पुराने अनुभवों से सीखें और आभार (gratitude) अभ्यास करें।
  • मनोबल और मकसद: अपने जीवन में एक उद्देश्य खोजें। अध्ययन बताते हैं कि जिन लोगों को जीवन में उद्देश्य और सामाजिक समर्थन मिलता है, उनकी आयु लंबी होती है। स्वस्थ सामाजिक संबंध और काम जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखते हैं।
  • मजबूत संबंध स्वास्थ्य के लिए: शोध लगातार दिखाते हैं कि मजबूत सामाजिक संबंध जीवित रहने की संभावना बढ़ाते हैं। 148 अध्ययनों के विश्लेषण में यह पाया गया कि जिन लोगों के सामाजिक संबंध मजबूत हैं, उनके स्वस्थ रहने की संभावना 50% अधिक होती है उन लोगों की तुलना में जिनके संबंध कमजोर हैं।
  • अकेलापन और उससे बचाव: दूसरी ओर, सामाजिक अलगाव और अकेलापन अस्वास्थ्यकर हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार अकेलापन व सामाजिक पृथकतापूर्ण जीवन से हृदय रोग, स्ट्रोक, अवसाद आदि का जोखिम बढ़ता है और असमय मृत्यु का खतरा 26–29% अधिक होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट भी बताती है कि अकेलापन से प्रतिवर्ष लगभग 8.71 लाख लोगों की समयपूर्व मौत होती है। इसलिए नियमित रूप से परिवार, मित्र और समुदाय के साथ मिलें।
  • पारिवारिक समर्थन: भारतीय परिवेश में परिवार का साथ विशेष महत्व रखता है। बुज़ुर्गों को परिवार में मान-सम्मान मिलने, बातचीत और देखभाल से मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है और जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है। दादा-दादी बच्चों और पोते-पोतियों के साथ समय बिताना, उनके अनुभव साझा करना और उन्हें सहारा देना दोनों पक्षों के लिए सुखद और स्वास्थ्यवर्धक है।
  • सामाजिक गतिविधियाँ: समाज में सक्रिय रहना, समाजसेवी कार्य करना या समूह गतिविधियों (जैसे योग समूह, खेलकूद, सामूहिक प्रार्थना) में भाग लेने से जीवन में उत्साह बना रहता है। शोध से पता चला है कि दूसरों की सहायता करने से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेहतर होता है, जिससे आयु लंबी रहने की संभावना बढ़ जाती है। जीवन में समाजीक समर्थन कम न होने दें। श मजबूत सामाजिक संबंध वाले लोगों में मृत्यु दर बहुत कम होती है – सामाजिक रूप से जुड़े रहने से जीवित रहने की संभावना 50% तक बढ़ जाती हैI

  FAQ :

1:लंबी उम्र होने का रहस्य क्या है?

A: धूम्रपान न करना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित शारीरिक गतिविधि करना, स्वस्थ आहार खाना और शराब का सेवन सीमित करना एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने की कुंजी है।

2:लंबी उम्र का राज क्या है?

A : लंबी उम्र का राज़ स्वस्थ जीवनशैली ,शारीरिक और मानसिक सक्रियता, संतुलित आहार, और तनाव प्रबंधन का मिश्रण है, जिसमें नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, धूम्रपान से दूरी, सकारात्मक दृष्टिकोण, और मजबूत सामाजिक रिश्ते शामिल हैं,  

3: लंबी उम्र के लिए क्या खाएं?

A: खूब सारी रंगीन फल और सब्ज़ियां, दालें, साबुत अनाज, मेवे और लीन प्रोटीन खाएं. प्रोसेस्ड और तली-भुनी चीज़ों से बचें.

   स्रोत: ऊपर वर्णित जानकारियाँ विभिन्न विश्वसनीय स्त्रोतों पर आधारित हैं, जिनमें ब्लू ज़ोन रिसर्च और संबंधित अध्ययन शामिल हैं

No responses yet

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *