Lord hanuman को क्यों कहा जाता है रुद्रा अवतार !

Lord hanuman को ऋग्वेद में, रुद्र की प्रशंसा “शक्तिशाली लोगों में सबसे शक्तिशाली” के रूप में की गई है। रुद्र का अर्थ है “जो समस्याओं को उनकी जड़ों से मिटा देता है”।शिवपुराण में Lord hanuman को सीधे शिव का अवतार बताया गया है और वे आज विश्वभर में अति श्रद्धा से पूजे जाते हैं। हर राम मंदिर में हनुमान की मूर्ति होती है तथा भक्त ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करते हैं। रूद्र शिव जी का भयानक और संहारक रूप है। Lord hanuman के कई कार्यों में शिव का उग्र रूप दिखाई देता है,
अवतार का कारण:

- भगवान राम की सेवा के लिए:- Lord hanuman जी भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार हैं। उन्हें भगवान शिव के ही एक रूप ‘रुद्र’ के ग्यारहवें अवतार के रूप में माना जाता है, जो भगवान विष्णु के राम अवतार की सहायता के लिए प्रकट हुए थे। ताकि वे रावण वध में सहायता कर सकें।
- दास्य (सेवक) के वरदान के कारण :
शिवजी को भगवान विष्णु से दास्य का वरदान मिला था। Lord hanuman के रूप में, शिवजी ने इस वरदान को पूरा किया और राम की सेवा की।
- शिव के अंश के रूप में जन्म :

यह भी माना जाता है कि Lord hanuman को शिव का रुद्र अवतार इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी माता अंजनी ने शिव को पुत्र रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अपनी रुद्र शक्ति का एक अंश पवन देव के रूप में अंजनी को प्रदान किया I यह अंश अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुआ और चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ। इसीलिए हनुमान जी को “शंकर सुवन” (शिव का अंश) कहा जाता है
- कलयुग के लिए :
शिवजी जानते थे कि कलयुग में वे या राम धरती पर नहीं होंगे। इसलिए, उन्होंने एक शक्तिशाली रूप धारण किया जो अजर-अमर रहे और कलियुग में भी लोगों के दुखों को दूर कर सके।

- अमरता:- Lord hanuman को भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव, माता सीता और स्वयं श्रीराम से अमरता का वरदान मिला था।
- अजयेता:- इंद्र ने वज्र से प्रहार के बाद उन्हें किसी भी शस्त्र से अछूते रहने का वरदान दिया था।
- आग और पानी से सुरक्षा:- वरुणदेव ने उन्हें जल में न डूबने और अग्निदेव ने अग्नि से न जलने का वरदान दिया था।
- अशोक वाटिका में सीता का मिलना:- सीता ने हनुमान जी को कभी भूख-प्यास न लगने और अजेय रहने का वरदान दिया था, क्योंकि वे भूख-प्यास से उन्हें ढूंढते रहे थे।
- चिरंजीवता:- Lord hanuman को भगवान राम ने उन्हें कलियुग तक धरती पर रहकर भक्तों की सहायता करने का आशीर्वाद दिया था।
हनुमान जी के मंत्र :-

- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
- यह मंत्र शत्रुओं का नाश करने, सभी रोगों को दूर करने और हर मनोकामना पूरी करने के लिए शक्तिशाली माना जाता है।
- ॐ हं हनुमते नमः
- यह एक सरल और प्रभावी मंत्र है जो प्रसन्नता लाता है और भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
- यह मंत्र भगवान श्री राम के प्रति भक्ति और उनके दूत के रूप में हनुमान जी की शक्ति का आह्वान करता है।
- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा
- यह मंत्र हनुमान जी के असीम पराक्रम, शक्ति और तेज का वर्णन करता है।
- मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
- यह एक श्लोक है जिसका अर्थ है “मन के समान गति वाले, वायु के समान वेग वाले, इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वानर कुल के मुख्य और भगवान राम के दूत, मैं उन हनुमान जी की शरण में जाता हूँ”।
- ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा
- यह मंत्र, जिसका अर्थ है “मैं महाबलिष्ठ भगवान हनुमान को नमस्कार करता हूँ,” शक्ति और बल प्रदान करता है।
- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
- यह एक बीज मंत्र है जो हनुमान जी की शक्ति और वीरता का प्रतीक है।
FAQ :
1.हनुमान जी को किस नाम से भी जाना जाता है?
A: हनुमान जी को पवनपुत्र, बजरंगबली, अंजनी पुत्र, महावीर, केसरी नंदन और मारुति जैसे नामों से भी जाना जाता है।
2.हनुमान जी को संकटमोचन क्यों कहा जाता है?
A: हनुमान जी अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं, इसलिए उन्हें संकटमोचन कहा जाता है।
3.हनुमान जी की पूजा किस दिन की जाती है?
A: हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है।
4.हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ?
A: पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म माता अंजना और पिता केसरी के यहाँ हुआ। वे वायु देव (पवन देव) के आशीर्वाद से जन्मे, इसलिए उन्हें पवनपुत्र कहा जाता है।
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